न्यायालय के स्वरूप में कौन-कौन से प्रकार होते हैं?
भारत में न्यायालयों के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो उनके कार्यक्षेत्र और अधिकार क्षेत्र के आधार पर वर्गीकृत किए जाते हैं। यहाँ मुख्य प्रकारों का विवरण दिया गया है:
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court):
भारत का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है।
इसके पास मूल, अपीलीय और सलाहकार अधिकार क्षेत्र है।
यह देश के संविधान और कानूनों की व्याख्या करता है।
उच्च न्यायालय (High Court):
प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होता है।
यह राज्य के सभी न्यायालयों का निरीक्षण करता है।
इसके पास सिविल और दंडात्मक मामलों की अपीलों पर अधिकार क्षेत्र होता है।
जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय (District and Subordinate Courts):
जिला न्यायालय: जिले का सर्वोच्च न्यायालय, जो सिविल और दंडात्मक मामलों की सुनवाई करता है।
सत्र न्यायालय: गंभीर अपराधों की सुनवाई करता है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट: प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट, जो कम गंभीर अपराधों की सुनवाई करते हैं।
विशेष न्यायालय (Special Courts):
विशेष कानूनों के तहत स्थापित किए जाते हैं, जैसे आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार, और आतंकवाद से संबंधित मामले।
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ट्रिब्यूनल (Tribunals):
विशेष प्रकृति के मामलों की सुनवाई के लिए स्थापित किए जाते हैं, जैसे प्रशासनिक, कराधान, और श्रम विवाद।
राजस्व न्यायालय (Revenue Courts):
भूमि और राजस्व से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हैं।
जिलाधीश और आयुक्त के न्यायालय इसके उदाहरण हैं।
सैनिक न्यायालय (Military Courts):
सशस्त्र बलों के सदस्यों के खिलाफ अपराधों की सुनवाई करते हैं।
अभिलेख न्यायालय (Courts of Record):
उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय इस श्रेणी में आते हैं, जो अपने फैसले को अभिलेख के रूप में रखते हैं और इन फैसलों को अदालत की अवमानना के लिए उपयोग किया जा सकता है।
इन विभिन्न प्रकार के न्यायालय मिलकर भारत की न्यायपालिका का गठन करते हैं, जो देश में न्याय की व्यवस्था को सुनिश्चित करते हैं।