भारत में यौन अपराध के कानून और न्यायिक सुधार
भारत में यौन अपराध के कानून और न्यायिक सुधार
भारत में यौन अपराध के कानूनों में सुधार के प्रयास जारी हैं, जिसमें न्यायिक सुधार और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा शामिल है।
न्यायिक सुधार
भारत में न्यायिक सुधार के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
भारतीय न्याय संहिता 2023
ने भारतीय दंड संहिता की जगह ले ली है और 1 जुलाई 2024 को लागू हुई।
इस नए कानून में गंभीर अपराधों, खासकर यौन अपराधों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावा,
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के मामले से निपटने के लिए नए आपराधिक कानून में कोई प्रावधान न होने को लेकर प्रतिवेदन पर जल्द फैसला करे।
Expand
यौन अपराध कानून
भारत में यौन अपराधों के खिलाफ कानूनों में सुधार किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता 2023
ने धारा 377 को शामिल नहीं किया है,
जो वयस्कों के बीच असहमति से यौन संबंध बनाने को अपराध मानता था।
इसके अलावा, यौन उत्पीड़न को गैरकानूनी यौन भेदभाव का एक रूप माना गया है,
जिसमें अवांछित यौन सुझाव और शारीरिक आचरण शामिल हैं।
Expand
संविधान का उद्देश्य
भारत के संविधान का मूल उद्देश्य अपने सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वाधीनता, समानता,
भाईचारा और इज्ज़त सुनिश्चित करना है।
संविधान की प्रस्तावना में इन उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है, जो देश के कानूनी ढांचे का आधार बनता है।
Expand
महिलाओं के अधिकार
भारत में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं।
आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2018
ने महिलाओं के बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा को बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया है।
इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता 2023 ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त प्रावधान शामिल किए हैं।
Expand