सूरसागर: सूरदास जी द्वारा रचित यह ग्रंथ राधा और कृष्ण की लीलाओं का विस्तार से वर्णन करता है। इसमें लगभग एक लाख पद होने की बात कही जाती है, हालांकि वर्तमान संस्करणों में लगभग पाँच हज़ार पद ही मिलते हैं।
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श्री राधालीलामृत: यह ग्रंथ श्री कृष्ण और श्री राधा की संपूर्ण जीवनी का वर्णन करता है। यह ग्रंथ प्रेम की अधिष्ठात्री देवी के रूप में राधा की महिमा का गुणगान करता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण: इस पुराण में राधा और कृष्ण के बीच के प्रेम और उनकी लीलाओं का विस्तार से वर्णन है। यह ग्रंथ राधा को कृष्ण के साथ गोलोक में रहने वाली देवी के रूप में दर्शाता है।
गर्ग संहिता: यह ग्रंथ महर्षि गर्ग द्वारा रचित है और इसमें कृष्ण और राधा की लीलाओं का विस्तार से वर्णन है। इसमें राधा के रूप और कृष्ण संग उनकी लीलाओं का विस्तार से जिक्र मिलता है।
गीत गोविंद: कवि जयदेव द्वारा रचित यह ग्रंथ राधा और कृष्ण के प्रेम को सुंदर काव्य रूप में प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ राधा के स्वरूप-दर्शन का भी प्रथम प्रस्थान है।
राधा महात्म्य: यह ग्रंथ राधा रानी के महत्वपूर्ण अध्यायों को संदर्भित करता है। इसमें राधा रानी के लीलाओं, भक्तों के साथ उनके सामर्थ्य, और उनके प्रति भक्ति के महत्व का वर्णन होता है。