वन विनाश से पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान उत्पन्न होता है। जैव विविधता की कमी के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता है। वनों के विनाश से जलवायु परिवर्तन में भी वृद्धि होती है, जिससे वर्षा की मात्रा में कमी और बाढ़ का खतरा बढ़ता है।
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सामाजिक प्रभाव
वन विनाश का सामाजिक प्रभाव भी गंभीर होता है। मूल निवासियों का विस्थापन और उनकी सांस्कृतिक धरोहर का नुकसान होता है। इसके अलावा, वनों के विनाश से स्थानीय समुदायों की आजीविका प्रभावित होती है, जिससे गरीबी और सामाजिक असमानता बढ़ती है।
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भविष्य की चुनौतियाँ
वन विनाश से भविष्य में कई चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय समस्याओं के कारण स्थिरता की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना आवश्यक हो जाता है। इसके लिए वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण के उपायों को अपनाना जरूरी है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और स्थिर पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।