Tesla की बैटरी टेक्नोलॉजी मुख्य रूप से लिथियम-आयन बैटरी पर आधारित है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। यह टेक्नोलॉजी कई घटकों और प्रक्रियाओं से मिलकर बनती है, जो मिलकर बैटरी के सुचारू और कुशल संचालन को सुनिश्चित करती है।
मुख्य घटक और उनके कार्य
लिथियम-आयन सेल्स (Lithium-Ion Cells):
कैथोड (Cathode): यह पॉजिटिव इलेक्ट्रोड होता है, जो आमतौर पर लिथियम कोबाल्ट ऑक्साइड (LCO), लिथियम निकल मैंगनीज कोबाल्ट (NMC) या अन्य लिथियम यौगिकों से बना होता है।
एनोड (Anode): यह नेगेटिव इलेक्ट्रोड होता है, जो आमतौर पर ग्रेफाइट (कार्बन) से बना होता है।
इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte): यह एक केमिकल समाधान होता है जो लिथियम आयनों को कैथोड से एनोड तक और इसके विपरीत गति करने की अनुमति देता है।
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बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System - BMS):
यह सिस्टम बैटरी के वोल्टेज, तापमान और चार्ज स्तर की निगरानी करता है।
BMS यह सुनिश्चित करता है कि बैटरी सुरक्षित रूप से चार्ज और डिस्चार्ज हो, और इसके जीवनकाल को अधिकतम करने में मदद करता है।
हीट मैनेजमेंट सिस्टम:
लिथियम-आयन बैटरियाँ उच्च तापमान पर अत्यधिक संवेदनशील होती हैं। इसलिए, Tesla के वाहनों में उन्नत हीट मैनेजमेंट सिस्टम होते हैं जो बैटरी को ओवरहीट होने से बचाते हैं।
कार्य प्रक्रिया
चार्जिंग:
जब बैटरी चार्ज की जाती है, तो लिथियम आयन कैथोड से एनोड की ओर गति करते हैं। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन एनोड में जमा होते हैं, जबकि लिथियम आयन इलेक्ट्रोलाइट के माध्यम से एनोड तक पहुँचते हैं।
डिस्चार्ज:
जब बैटरी डिस्चार्ज की जाती है, तो लिथियम आयन एनोड से कैथोड की ओर गति करते हैं। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन बाहरी सर्किट के माध्यम से प्रवाहित होते हैं, जो वाहन के इलेक्ट्रिक मोटर को शक्ति प्रदान करते हैं।